BA Semester-1 History - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :325
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2628
आईएसबीएन :000000000

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बीए सेमेस्टर-1 इतिहास के नवीन पाठ्यक्रमानुसार प्रश्नोत्तर

प्रश्न- राजा भोज के शासन काल में चतुर्दिक उन्नति हुई।

उत्तर-

परमार नरेश भोज (1011-1055)

सिन्धुराज के उपरान्त उसका पुत्र भोज परमार वंश का उत्तराधिकारी बना। यह अपने समय का एक महान् शासक था। इसने अपने कार्यों से परमार वंश के गौरव यश का अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँचा दिया। भोज ने सिहासन प्राप्त करने के उपरान्त अपने परम्परागत शत्रु कर्णाट के शासकों से युद्ध किया।

कर्णाट के चालुक्यों से युद्ध - मेरुतुंग के अनुसार भोज सर्वप्रथम गुजरात पर आक्रमण करना चाहता था, परन्तु भीम के दूत दामर की कूटनीतिक मंत्रणा से भोज ने सर्वप्रथम कर्णाट प्रदेश पर आक्रमण किया। भोजचरित से आभास होता है कि भोज ने तैलप का घोर अपमान के उपरान्त वध कर दिया और इस प्रकार अपने चाचा मुंज की पराजय का प्रतिशोध किया।

भोज और चालुक्यों की शत्रुता इस युद्ध के उपरान्त भी समाप्त न हुई वरन् जयसिंह के पुत्र और उत्तराधिकारी सोमेश्वर के शासनकाल मे कुछ वर्षों तक शान्त रहने के उपरान्त पुनः प्रारम्भ हो गई। सोमेश्वर ने सन् 1044 से सन् 1068 ई तक शासन किया। इस समय तक भोज ने अनेक युद्ध किये थे, इसके परिणामस्वरूप उसकी शक्ति क्षीण हो चुकी थी। सोमेश्वर ने इस स्थिति का लाभ उठाया और भोज के विरुद्ध अभियान किया। विल्हण के अनुसार भोज, सोमेश्वर के आक्रमण के भय से भाग गया और चालुक्यों ने नगर पर अधिकार कर लिया। सोमेश्वर के एक अभिलेख से ज्ञात होता है कि सोमेश्वर ने उस धारा नगरी पर विजय प्राप्त की जो उसके पूर्व शासकों के लिए अविजयी थी। सोमेश्वर ने इस अभियान में नागदेव, गुण्डमय जेमरस और माधव का भी सहयोग प्राप्त किया। चालुक्य नरेश ने इन सभी के सहयोग से मालवा पर विजय प्राप्त की और धारा को धूल-धूसरित कर दिया। परन्तु मालवा पर सोमेश्वर की यह सफलता अस्थायी थी और भोज ने उसके वापस आने पर मालवा पर पुन अधिकार स्थापित कर लिया। परमारों की इस पराजय का मालवा पर अत्यन्त बुरा प्रभाव पड़ा जिससे बाद में भोज को निबटना पड़ा।

इन्द्ररथ से युद्ध-  उदयपुर प्रशस्ति के अनुसार भोज इन्द्ररथ पर भी विजय प्राप्त की थी। यह इन्द्ररथ कौन था? उसके सम्बन्ध में साक्ष्यों का अभाव है परन्तु चोल वंश के तिरुवालगांडु अभिलेख और तिरुमल शिलालेख में इन्द्ररथ के नाम का उल्लेख मिलता है। इस पर राजेन्द्र चोल ने विजय प्राप्त की थी। सम्भवतः यह इन्द्ररथ उड़ीसा के किसी आदि नगर का शासक था।

लाट से युद्ध - भोज ने लाट प्रदेश पर भी विजय प्राप्त की। कल्वन अभिलेख और उदयपुर प्रशस्ति दोनों से ही स्पष्ट होता है कि भोज ने इस प्रदेश पर विजय प्राप्त की थी। इस समय यहाँ का शासक गोउराज का पुत्र कीर्तिराज था। यह भोज का समकालीन था। कीर्तिराज के पुत्र गिलोचन पाल के दानपत्र से पता चलता है कि कीर्तिराज के शासन में उसके शत्रुओं ने उसके यश को कुछ समय के लिए हर लिया। उपरोक्त कथन की पुष्टि अप्रत्यक्ष रूप से इस शिलालेख से भी होती है।

कोंकण से युद्ध - इस प्रदेश पर शिलाहार वंश का शासन था। भोज का समकालीन शासक अरिकेशरिन (केशिदेव) था। सिन्धुराज के इस वंश से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध था। परन्तु किन्हीं अज्ञात कारणों से दोनों वशों के सम्बन्ध कटु हो गये। अत भोज ने केशिदेव के ऊपर आक्रमण कर दिया। इसके शिलालेख से विदित होता है कि भोज ने कोंकण विजय के उत्सव को बड़े उत्साह से मनाया। भोज ने यह विजय सन् 1020 ई. में प्राप्त की थी। उसने इस प्रदेश पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया।

तुरष्को से युद्ध - मालवा की रक्षा करने के लिए भोज को मुसलमानों से कभी भी संघर्ष नहीं करना पड़ा। फरिश्ता के अनुसार आनन्दपाल को जब महमूद के आक्रमण की सूचना मिली तो उसने सभी भारतीय नरेशों से सहायता की प्रार्थना की। उज्जैन, ग्वालियर, कालिजर, कन्नौज और दिल्ली के नरेशों ने एक संघ बनाकर आनन्दपाल की सहायता के लिए पंजाब की ओर अग्रसर हुए परन्तु उन्हें सफलता नही मिली।

1. पूर्व अवसर पर महमूद ने सुगमता से आनन्दपाल पर विजय प्राप्त की थी परन्तु इस बार वह अत्यन्त सतर्क था। सम्भवत इसका कारण यही था कि उसके सामने भारतीयों की विशाल सेना खडी थी !

2. उदयपुर प्रशस्ति के अनुसार भोज ने भाड़े के सिपाहियों द्वारा तुरुष्कों को पराजित कर दिया। ऊपर स्वीकार किया जा चुका है कि भोज के समय मालवा पर मुस्लिम आक्रमण नहीं हुआ तब निश्चित रूप से भोज ने उपरोक्त संघ में भाग लिया था।

कल्चुरियों से युद्ध - भोज के समय समकालीन कलचुरी शासक गांगेय, विक्रमादित्य तथा कर्ण थे। कर्णाट प्रदेश पर आक्रमण के समय भोज ने गांगेय से एक सन्धि की थी, परन्तु जयसिंह विजय के परिणामस्वरूप उपरोक्त सन्धि भी समाप्त हो गई। भोज ने त्रिपुरी पर आक्रमण क्यों किया। इसकी चालुक्य की पृष्ठभूमि क्या थी? इन प्रश्नों का उत्तर देना सरल नहीं है परन्तु कल्वन अभिलेख तथा उदयपुर प्रशस्ति में भोज की चेदि नरेश पर विजय का उल्लेख है। पारिजात-मजरी के कथन से भी इस तथ्य की पुष्टि होती है।

चन्देलों से संघर्ष - भोज का समकालीन शासक था। चन्देल नरेश विद्याधर उत्तर भारत का एक शक्तिशाली सम्राट था। अतः भोज को अपनी महत्वाकांक्षा पूर्ण करने के लिए उस पर विजय प्राप्त करना अनिवार्य था। महोबा अभिलेख के अनुसार कलचुरियो के चन्द्रमा के साथ भोजदेव इस युद्ध के गुरु  (विद्याधर) की शिष्य की भाँति उपासना करता था। स्पष्ट है कि विद्याधर ने भोज को पराजित किया था।

ग्वालियर के कच्छप घातों से युद्ध - चन्देलों से पराजित होने के उपरान्त भोज की कन्नौज अभियान की लालसा पूरी नही हुई परन्तु अभी भी उसके मार्ग में दो बाधायें थी। उसने दुबकुण्ड के कच्छप घातों से मैत्री सम्बन्ध स्थापित करके उसने प्रथम बाधा को तो समाप्त कर लिया, परन्तु ग्वालियर के कच्छप घातों के साथ मैत्री पूर्ण सम्बन्ध स्थापित करने में भोज असफल रहा।

कन्नौज पर आक्रमण - उदयपुर प्रशस्ति में अलग-अलग भीम और गुर्जर नरेश पर भोज की विजय का उल्लेख है। भीम गुजरात का शासक था। इस स्थिति में गुर्जर नरेश को कन्नौज का प्रतिहार शासक स्वीकार किया जा सकता है। मेरुतुंग ने भी कन्नौज नरेश पर भोज की विजय का उल्लेख किया है।

चाहमानों से युद्ध - सपालदक्ष की चाहमान शाका का नरेश वीर्यराम, भोज का समकालीन शासक था। पृथ्वीराज विजय के अनुसार अवन्ति के भोज ने वीर्य राम के गौरव को नष्ट कर दिया। इस कथन से स्पष्ट है कि भोज ने चाहमानो पर विजय प्राप्त की थी।

गुजरात के चालुक्यों से युद्ध - हेमचन्द्र का कथन है कि चामुण्डराज एक बार काशी यात्रा पर जा रहा था। मार्ग मे मालवा नरेश ने उनका बड़ा अपमान किया। यात्रा पूरी करने के उपरान्त पाटन वापस आने पर उसने अपने पुत्र बल्लभराज को धारा पर आक्रमण के लिये एक विशाल सेना के साथ भेजा। दुर्भाग्य से मालवा पहुँचने के पूर्व ही मार्ग में उसकी चेचक के रोग से मृत्यु हो गयी। एक शिलालेख से भी इस कथन की पुष्टि होती है।

हेमचन्द्र ने दुर्लभराज के साथ भी भोज के संघर्ष का विवरण दिया है। परन्तु इस कथा के प्रमाण में अन्य कोई साक्ष्य नहीं है।

सिंध से वापिस आने पर भीम, भोज की शक्ति को समाप्त करने में लग गया। उसने आबू पर अधिकार कर भोज को खुली चुनौती दी। भोज अब दुर्बल हो चुका था, विदेशी डाकुओं ने उसके राज्य को जर्जरित कर दिया। मेरुतुंग का कथन है, एक बार जब भोज धारा नगरी की सीमा पर स्थित कुल देवी के मन्दिर में प्रार्थना के लिये गया तो परिभ्रमण करते हुए गुजरात के सैनिकों ने उसे घेर लिया और वह किसी प्रकार अपनी जान बचाकर लौटा।'

इस प्रकार उत्तर भारत के एक महान सम्राट के जीवन का अन्त हुआ। भोज में वीरता और उत्कृष्ट गुणों का अपूर्व संगम था। उसने जीवन के मधुर और कटु अनुभवों का पूर्ण परिचय प्राप्त किया था। वह एक उच्चकोटि का सेनापति भी था। उसकी वीरता और पराक्रम को दक्षिण में कर्णाट और शिलाहार, पूर्व में कलचुरि और पश्चिम में चालुक्य स्वीकार करते थे। उसने अजमेर के मार्ग में कन्नौज तक अभियान किया। मेरुतुंग ने उसकी वीरता की अत्यधिक प्रशंसा की है।

भोज का अन्त यद्यपि दुःखद रहा फिर भी इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि वह परमार वंश का एक पराक्रमी शासक था। उसने अपने युग की सत्ता को चरमोत्कर्ष पर पहुँचा दिया था। उदयपुर अभिलेख में उसकी प्रशसा करते हुये कहा गया है कि "पृथु की तुलना करने वाले भोज ने कैलाश से मलय पर्वत तक तथा उदयाचल से अस्ताचल तक की सम्पूर्ण पृथ्वी पर शासन किया। उसने अपने धनुष-बाण से पृथ्वी के समस्त राजाओं को उखाड़कर उन्हें विभिन्न दिशाओं में बिखेर दिया तथा पृथ्वी का परम प्रीतिदाता बन गया।

भोज अपनी दानशीलता के लिये भी विख्यात था। इस सभी गुणों के कारण भोज अपने समय का अद्वितीय शासक था। डॉ. डी. सी. गांगुली का भोज की महानता के सम्बन्ध में यह कथन, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में भोज की ये उपलब्धियों उसे मध्यकालीन शासकों में सर्वोच्च स्थान दिलाने के दावे का समर्थन करती हैं।'

साहित्यिक योगदान-  परमार वंशीय नरेश मुंज का साहित्यिक क्षेत्र में महान योगदान है। उसे अनेक शास्त्रों का ज्ञान था। उदयपुर प्रशस्ति में उसकी विद्वता के सम्बन्ध में उल्लेख है। वह इतना महान विद्वान् था कि दशरूपककार ने उसके उद्धारणो को प्रस्तुत किया है।

डॉ. गांगुली के अनुसार मुज केवल एक महान योद्धा और महान् कवि ही नहीं था वरन् कला और साहित्य का महान् रक्षक था। उसके दरबार मे अनेक विद्वान् और साहित्यकार निवास करते थे। मुज के शासन-काल के शासकों में पद्मगुप्त द्वारा रचित नवसाहसाडूचरित बहुत अधिक प्रसिद्ध है। 

भोज की जितनी भी प्रशंसा की जाए, कम है। उसकी लोकप्रियता कितनी अधिक थी निम्नलिखित उदाहरण से स्पष्ट होती है-

अद्य धारा निराधारा निरालम्बा सरस्वती,
पण्डिता खण्डिता सर्वे भोजराजे दिवंगते।"

अर्थात् आज भोजराज की मृत्यु के साथ धारा आधारहीन हो गयी, सरस्वती आश्रय रहित हो गयी है और पण्डित खण्डित हो गये हैं।

यथार्थ मे भोज को प्राप्त करके सरस्वती के हर्ष की सीमा न रही। वह राजनीति, ज्योतिष, काव्य, व्याकरण और चिकित्साशास्त्र का महान ज्ञाता था। उसने अनेक ग्रन्थों की रचना की, जिसकी परवर्ती विद्वानों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की और उसके ग्रन्थों के उद्धरण भी प्रस्तुत किये। कुछ विद्वानों का विचार है कि सम्भव है कि भोज ने अधिक ग्रन्थों की रचना न की हो, परन्तु इसमें तनिक भी संदेह नहीं कि वह विद्वानों का महान् आश्रयदाता था। उसकी राजधानी धारा नगरी की भोजशाला यथार्थ में एक विश्वविद्यालय था। इसमें दूर-दूर के विद्वान् आते थे। शिक्षा के क्षेत्र में भी भोज का महान योगदान है। उसने अनेक विद्यालयों की स्थापना की और विद्वानो का सम्मान किया।

कलात्मक देन - भोज ने निम्नलिखित प्रसिद्ध स्थानों की निर्माण व्यवस्था -

1. धारा नगरी की भोजशाला, विश्वविद्यालय।

2. धारा नगरी में विश्वविद्यालय के समीप निर्मित सरस्वती का मन्दिर।

3. भोज सागर तड़ाग।

4. कपालेश्वर तडाग।

5. अनेक शिव मन्दिर।

डॉ. डी. सी. गांगुली ने लिखा है कि “He was not only a great general and great Port but also a great Patron of art a culture."

भोज के निर्माण कार्यों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण धारानगरी का विद्यालय और उसके निकट बना सरस्वती मन्दिर था। सरस्वती मन्दिर के समीप ही दर्शनार्थियों के लिए एक कुआं भी सुविधा के लिए बनवाया गया था जो आज के समय में भी विद्यमान है। 35 वर्ग मील में विस्तृत भोज सागर जिसके तट पर भोजनगर की स्थापना की गयी थी, भोज के निर्माण कार्यों में प्रमुख है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- ऐतिहासिक युग के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता का परिचय दीजिए व भारत में उसके बाद विकसित होने वाली सभ्यता व संस्कृति को चित्रित कीजिए।
  3. प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहाकार कल्हण व आर. सी. मजूमदार का परिचय दीजिए।
  4. प्रश्न- भारतीय ज्ञान प्रणाली के स्रोत पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- जदुनाथ सरकार, वी. डी. सावरकर, के. पी. जायसवाल का परिचय दीजिए।
  6. प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहासकार मृदुला मुखर्जी के बारे में बताइए।
  7. प्रश्न- भारत संस्कृति (भाषाओं) के ज्ञान से अवगत कराइये।
  8. प्रश्न- नृत्य व रंगमंच की भारतीय संस्कृति से अवगत कराइये।
  9. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता से मगध राज्य तक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  10. प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहासकार विपिनचन्द्र पर टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- मध्य पाषाण समाज और शिकारी संग्रहकर्ता पर टिप्पणी कीजिए।
  12. प्रश्न- ऊपरी पुरापाषाण क्रांति क्या थी?
  13. प्रश्न- प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  14. प्रश्न- पाषाण युग की जीवनशैली किस प्रकार की थी?
  15. प्रश्न- के. पी. जायसवाल के विशिष्ट कार्यों से अवगत कराइये।
  16. प्रश्न- वी. डी. सावरकर के धार्मिक और राजनीतिक विचार से अवगत कराइये।
  17. प्रश्न- लोअर पैलियोलिथिक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं? 'हड़प्पा संस्कृति' के निर्माता कौन थे? बाह्य देशों के साथ उनके सम्बन्धों के विषय में आप क्या समझते हैं?
  19. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों के आर्थिक जीवन के विषय में विस्तारपूर्वक बताइये।
  21. प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर-विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  26. प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  28. प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
  30. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
  31. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  32. प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  34. प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
  35. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विनाश के क्या कारण थे?
  36. प्रश्न- लोथल के 'गोदी स्थल' पर लेख लिखो।
  37. प्रश्न- मातृ देवी की उपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  38. प्रश्न- 'गेरुए रंग के मृदभाण्डों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- 'मोहन जोदडो' का महान स्नानागार' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  40. प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व-वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
  41. प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
  42. प्रश्न- वैदिक कालीन समाज पर प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
  44. प्रश्न- वैदिक कालीन समाज की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  45. प्रश्न- वैदिक साहित्य के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- ब्रह्मचर्य आश्रम के कार्य व महत्व को समझाइये।
  47. प्रश्न- वानप्रस्थ आश्रम के महत्व को समझाइये।
  48. प्रश्न- सन्यास आश्रम का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- मनुस्मृति में लिखित विवाह के प्रकार लिखिए।
  50. प्रश्न- वैदिक काल में दास प्रथा का वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- पुरुषार्थ पर लघु लेख लिखिए।
  52. प्रश्न- 'संस्कार' पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- गृहस्थ आश्रम के महत्व को समझाइये।
  54. प्रश्न- महाकाव्यकालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  55. प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- वैदिककाल में विवाह तथा सम्पत्ति अधिकारों की क्या स्थिति थी?
  57. प्रश्न- उत्तर वैदिककाल की राजनीतिक दशा का उल्लेख कीजिए।
  58. प्रश्न- विदथ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  59. प्रश्न- ऋग्वेद पर टिप्पणी कीजिए।
  60. प्रश्न- आर्यों के मूल स्थान पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- 'सभा' के विषय में आप क्या जानते हैं?
  62. प्रश्न- वैदिक यज्ञों के सम्पादन में अग्नि के महत्त्व को व्याख्यायित कीजिए।
  63. प्रश्न- उत्तरवैदिक कालीन धार्मिक विश्वासों एवं कृत्यों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  64. प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- नन्द कौन थे? महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  66. प्रश्न. बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
  67. प्रश्न- उदयिन के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  68. प्रश्न- नन्द साम्राज्य की विशालता का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
  70. प्रश्न- धननंद के विषय में आप क्या जानते हैं?
  71. प्रश्न- मगध की भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी उपलब्धियों और शासन व्यवस्था पर निबन्ध लिखिए।
  74. प्रश्न- सम्राट बिन्दुसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  75. प्रश्न- मौर्यकाल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  76. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- सुदर्शन झील पर टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- अशोक के प्रारम्भिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताइये कि वह किस प्रकार सिंहासन पर बैठा था?
  79. प्रश्न- सम्राट अशोक के साम्राज्य विस्तार पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- सम्राट के धम्म के विशिष्ट तत्वों का निरूपण कीजिए।
  81. प्रश्न- अशोक के शासन व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
  82. प्रश्न- 'भारतीय इतिहास में अशोक एक महान सम्राट कहलाता है। यह कथन कहाँ तक सत्य है? प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- मौर्य वंश के पतन के लिए अशोक कहाँ तक उत्तरदायी था?
  84. प्रश्न- अशोक ने धर्म प्रचार के क्या उपाय किये थे? स्पष्ट कीजिए।
  85. प्रश्न- सारनाथ स्तम्भ लेख पर टिप्पणी कीजिए।
  86. प्रश्न- बृहद्रथ किस राजवंश का शासक था और इसके विषय में आप क्या जानते हैं?
  87. प्रश्न- कौटिल्य और मेगस्थनीज के विषय में आप क्या जानते हैं?
  88. प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
  89. प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
  90. प्रश्न- गुप्तों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  91. प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
  92. प्रश्न- प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से लिखिए।
  94. प्रश्न- कल्याणी के उत्तरकालीन पश्चिमी चालुक्य को समझाइए।
  95. प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  96. प्रश्न- गुप्तकाल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- गुप्तों के काल को प्राचीन भारत का 'स्वर्ण युग' क्यों कहते हैं? विवेचना कीजिए।
  99. प्रश्न- रामगुप्त की ऐतिहासिकता पर विचार व्यक्त कीजिए।
  100. प्रश्न- गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के विषय में बताइए।
  101. प्रश्न- आर्यभट्ट कौन था? वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
  103. प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
  104. प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  105. प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
  106. प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  107. प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- स्कन्दगुप्त कौन था?
  109. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है उसके विषय में आपसूक्ष्म में बताइए।
  110. प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों की उत्पत्ति का आलोचनात्मक विवरण दीजिए।
  111. प्रश्न- मिहिरभोज की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  112. प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार नरेश नागभट्ट द्वितीय के शासनकाल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
  113. प्रश्न-
  114. प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार शासक नागभट्ट प्रथम के शासन-काल का विवरण दीजिए।
  115. प्रश्न- वत्सराज की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  116. प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार वंश के इतिहास में नागभट्ट द्वितीय के स्थान का मूल्यांकन कीजिए।
  117. प्रश्न- मिहिरभोज की राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  118. प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार सत्ता का मूल्यांकन कीजिए।
  119. प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों का विघटन पर प्रकाश डालिये।
  120. प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार वंश के इतिहास जानने के साधनों का उल्लेख कीजिए।
  121. प्रश्न- महेन्द्रपाल प्रथम कौन था? उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए। उत्तर -
  122. प्रश्न- राजशेखर और उसकी कृतियों पर एक टिप्पणी लिखिए।
  123. प्रश्न- राज्यपाल तथा त्रिलोचनपाल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  124. प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में प्रतिहारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  125. प्रश्न- कन्नौज के प्रतिहारों पर एक निबन्ध लिखिए।
  126. प्रश्न- प्रतिहार वंश का महानतम शासक कौन था?
  127. प्रश्न- गुर्जर एवं पतन का विश्लेषण कीजिये।
  128. प्रश्न- कीर्तिवर्मा द्वितीय एवं बादामी के चालुक्यों के अन्त पर प्रकाश डालिए।
  129. प्रश्न- चालुक्य राज्य के अंधकार काल पर प्रकाश डालिए।
  130. प्रश्न- पूर्वी चालुक्य शासकों ने कला और संस्कृति में क्या योगदान दिया है?
  131. प्रश्न- चालुक्य कौन थे? इनकी उत्पत्ति के बारे में बताइए।
  132. प्रश्न- वेंगी के पूर्व चालुक्यों पर टिप्पणी लिखिए।
  133. प्रश्न- चालुक्यकालीन धर्म एवं कला का वर्णन कीजिए।
  134. प्रश्न- चालुक्यों की विभिन्न शाखाओं का वर्णन कीजिए।
  135. प्रश्न- चालुक्य संघर्ष के विषय में आप क्या जानते हैं?
  136. प्रश्न- कल्याणी के पश्चिमी चालुक्यों की शक्ति के प्रसार का विवरण दीजिए।
  137. प्रश्न- चालुक्यों की उपलब्धियों के महत्व का वर्णन कीजिए।
  138. प्रश्न- चालुक्यों की शासन व्यवस्था का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  139. प्रश्न- चालुक्य- पल्लव संघर्ष का विवरण दीजिए।
  140. प्रश्न- परमारों की उत्पत्ति की विवेचना कीजिए।
  141. प्रश्न- राजा भोज के शासन काल में चतुर्दिक उन्नति हुई।
  142. प्रश्न- परमार नरेश वाक्पति II मुंज के शासन काल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
  143. प्रश्न- राजा भोज के शासन प्रबंध के विषय में आप क्या जानते हैं? बताइए।
  144. प्रश्न- परमार वंश के पतन पर प्रकाश डालिए तथा इस वंश का पतन क्यों हुआ?
  145. प्रश्न- परमार साहित्य और कला की विवेचना कीजिए।
  146. प्रश्न- परमार वंश का संस्थापक कौन था?
  147. प्रश्न- मुंज परमार की उपलब्धियों का आंकलन कीजिए।
  148. प्रश्न- 'धारा' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  149. प्रश्न- सीयक द्वितीय 'हर्ष' के शासन काल की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
  150. प्रश्न- सिन्धुराज पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  151. प्रश्न- परमारों के पतन के कारण बताइए।
  152. प्रश्न- राजा भोज एवं चालुक्य संघर्ष का वर्णन कीजिये।
  153. प्रश्न- राजा भोज की सांस्कृतिक उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
  154. प्रश्न- परमार इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
  155. प्रश्न- भोज परमार की उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  156. प्रश्न- परमारों की प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिये।
  157. प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ के शासन काल की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
  158. प्रश्न- अर्णोराज चाहमान के जीवन एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  159. प्रश्न- पृथ्वीराज चौहान की उपलब्धियों की समीक्षा कीजिए। मोहम्मद गोरी के हाथों उसकी पराजय के क्या कारण थे? उल्लेख कीजिए।
  160. प्रश्न- चाहमान कौन थे? विग्रहराज चतुर्थ के विजयों का वर्णन कीजिए।
  161. प्रश्न- चाहमान कौन थे?
  162. प्रश्न- विग्रहराज द्वितीय के शासनकाल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
  163. प्रश्न- अजयराज चाहमान की उपलब्धियों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  164. प्रश्न- पृथ्वीराज चौहान की सैनिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  165. प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  166. प्रश्न- पृथ्वीराज और जयचन्द्र की शत्रुता पर प्रकाश डालिये।
  167. प्रश्न- ऐतिहासिक साक्ष्य के रूप में पृथ्वीराज रासो के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  168. प्रश्न- चाहमान वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
  169. प्रश्न- चाहमानों के विदेशी मूल का सिद्धान्त पर प्रकाश डालिये।
  170. प्रश्न- पृथ्वीराज तृतीय के चन्देलों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  171. प्रश्न- गोविन्द चन्द्र गहड़वाल की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  172. प्रश्न- गहड़वालों की उत्पत्ति की विवेचना कीजिए।
  173. प्रश्न- जयचन्द्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  174. प्रश्न- अर्णोराज के राज्यकाल की प्रमुख राजनीतिक घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
  175. प्रश्न- चाहमानों (चौहानों) के राजनीतिक इतिहास का वर्णन कीजिए।
  176. प्रश्न- ललित विग्रहराज नाटक पर नोट लिखिए।
  177. प्रश्न- चाहमान नरेश पृथ्वीराज तृतीय के तराइन युद्धों का वर्णन कीजिए।
  178. प्रश्न- चौहान वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  179. प्रश्न- सामंतवाद पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  180. प्रश्न- सामंतवाद के पतन के कारण बताइए।
  181. प्रश्न- प्राचीन भारत में सामंतवाद की क्या स्थिति थी?
  182. प्रश्न- मौर्य प्रशासन और सामंतवाद पर टिप्पणी लिखिए।
  183. प्रश्न-
  184. प्रश्न- वेदों की उत्पत्ति के विषय में बताइए। वेदों ने हमारे जीवन को किस प्रकार के ज्ञान दिये?
  185. प्रश्न- हिन्दू धर्म और संस्कृति पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए
  186. प्रश्न- हिन्दू वर्ग की जाति-व्यवस्था व त्योहारों के विषय में बताइए।
  187. प्रश्न- 'लिंगायत'' के बारे में बताइए।
  188. प्रश्न- हिन्दू धर्म के सुधारकों के विषय में बताइए।
  189. प्रश्न- हिन्दू धर्म में आत्मा से सम्बन्धित विचारों से अवगत कराइये।
  190. प्रश्न- हिन्दुओं के मूल विश्वासों से अवगत कराइए।
  191. प्रश्न- उपवास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  192. प्रश्न- हिन्दू धर्म में लोगों के गाय के प्रति कर्तव्य से अवगत कराइये।
  193. प्रश्न- हिन्दू धर्म में
  194. प्रश्न- मुहम्मद गोरी के भारत आक्रमण का वर्णन कीजिए।
  195. प्रश्न- मुहम्मद गोरी की भारत विजय के कारणों की सुस्पष्ट व्याख्या कीजिए।
  196. प्रश्न- राजपूतों के पतन के कारणों की विवेचना कीजिए।
  197. प्रश्न- मुस्लिम आक्रमण के समय उत्तर की राजनीतिक स्थिति का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  198. प्रश्न- महमूद गजनवी के भारतीय आक्रमणों का वर्णन कीजिए।
  199. प्रश्न- भारत पर मुहम्मद गोरी के आक्रमण के क्या कारण थे?
  200. प्रश्नृ- गोरी के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक दशा कैसी थी?
  201. प्रश्न- गोरी के आक्रमण के समय भारत की सामाजिक स्थिति का संक्षिप्त वर्णन करें।
  202. प्रश्न- 11-12वीं सदी में भारत की आर्थिक स्थिति पर टिप्पणी लिखें।
  203. प्रश्न- 11-12वीं सदी में भारतीय शासकों के तुर्कों से पराजय के क्या कारण थे?
  204. प्रश्न- भारत में तुर्की राज्य स्थापना के क्या परिणाम हुए?
  205. प्रश्न- मुहम्मद गोरी का चरित्र-मूल्यांकन कीजिए।
  206. प्रश्न- अरबों की असफलता के क्या कारण थे?
  207. प्रश्न- अरब आक्रमण का प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
  208. प्रश्न- तराइन के प्रथम युद्ध पर प्रकाश डालिए।
  209. प्रश्न- भारत पर तुर्कों के आक्रमण के क्या कारण थे?
  210. प्रश्न- महमूद गजनवी का आनन्दपाल पर आक्रमण का वर्णन कीजिये।
  211. प्रश्न- महमूद गजनवी का कन्नौज पर आक्रमण पर प्रकाश डालिये।
  212. प्रश्न- महमूद गजनवी द्वारा सोमनाथ का विध्वंस पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये। [
  213. प्रश्न- महमूद गजनवी के आक्रमण के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  214. प्रश्न- भारत पर महमूद गजनवी के आक्रमण के परिणामों पर टिप्पणी कीजिए।
  215. प्रश्न- मोहम्मद गोरी की विजयों के बारे में लिखिए।
  216. प्रश्न- भारत पर तुर्की आक्रमण के प्रभावों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।

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